(चउथका दृस्य)
(नेताजी के डेरा। बी० ओ०, हेडमास्टर, बाबाजी आ पुलिस के दरोगा बइठल बाड़े।)
बी० ओ० – का आनंदी बाबा! रउरा त मुर्दो के खून पी जानी! आ रउरा के पाँच हजार रोपेया
दे के भेजनी कि लोग के समझा-बुझा के, बोका बना के चुप कराईं त रउरा के त दू गो
कवलेजिया लइके भगा देलें सन। बेकारे बाबा बानी रउरा।
बाबाजी – देखीं झीटू जी! ऊ लइकवा हमरे के बड़-बड़ दोहा सुनावे लगलन सन। अब का करती,
भाग अइनी। ओकनी के बात आ दोहा त ठीके रहे, हमनी लेखा ठगी के मंतर थोरे रहे।
(ताले ठगलाल के आगमन। ठगलाल सब के परनाम-सलाम करऽतारें।)
हेडमास्टर - आवऽ ठगलाल, तूँ ही बाकी रलऽ ह। (नेताजी का ओर इसारा
करत) ई ठगलाल हउवें, इनके दोकान से सामान किन के इस्कूल में जाला।
नेताजी - देखऽ लोग। दरोगो आइले बाड़न। इनके जाँच करे के बा। अब साफ-साफ बात बा।
ठगलाल पचास हजार, हेडमास्टर एक लाख आ बी० ओ० डेढ़ लाख देस तब जा के कोट-पुलिस सलटी
ना त सब जाना एही में झोंकाई रहऽ। आ बाबा से का लेवे के बा! साधू त हमनी के राहे
देखावेला!
हेडमास्टर – बड़ा ढेर पइसा माँगऽतानी धनीराम जी! (चिहा के)
नेताजी – ढेर बा? 40 गो लइका मर गइल आ ओकरो खातिर सब के घर के दू-दू लाख अबहीं
दिवावे के बा। तहरा लोग से त कमे मँगाइल बा। आपन आदमी हउअ लोग त कमे मँगले बानी ना
त पाँच लाख से कम ना मँगाइत। (कुछ देर सभे चुप बा। तब नेता उठ के कहऽतारें) देखऽ
लोग जादे समय नइखे। अरे देबऽ लोग तबे नू फेर कमइबऽ लोग। पइसा द, पइसा कमा। पइसे से
नू पइसा कमाइल जाला। आ एतना देबऽ लोग त जाँच में तूँ लोग जवन कहबऽ तवने देखा दिआई।
ठगलाल – नेताजी ठीक कहऽतानी। हम त पइसा लेइए आइल बानी।