अइसन गाँव बना दे
अइसन गाँव बना दे, जहां अत्याचार
ना रहे।
जहां सपनों में जालिम जमींदार ना रहे।
कोई बस्तर बिना लंगटे- उघार ना रहे।
सभे करे मिल-जुल काम, पावे पूरा
श्रम के दाम
कोई केहू के कमाई लूटनिहार ना रहे।
सभे करे सब के मान, गावे एकता
के गान
कोई केहू के कुबोली बोलनिहार ना रहे।
- 18.3.83