शनिवार, 23 जुलाई 2011

एगो प्रयास

बहुत जादे दिन भइल लिखला। हिन्दी में त नियमित लिखात रहेला बाकिर भोजपुरी में ना। ईहे वजह बा कि हमेसा देर हो जाता। बाकिर कुछ दिन का बाद सब ठीक हो जाई आ नियमित लिखे लागेम। अभी कुछ दिन पहिले अँजोरिया पर भोजपुरी जिन्दगी पत्रिका के नाया अंक आ आइल बा। ओकरो के पढ़ के आपन बात कहल जरूरी बा। ऊहो बाकिए बा। 

एगो नाया प्रयास करे जा रहल बानी। रउरा लोगन के भोजपुरी के एगो पत्रिका बिगुल के कुछ अंक पढ़वावे के बिचार बा। त बिगुल के तीन गो लघुकथा अंक के फोटो के रूप में ईहाँ पढ़े के मिली। ई तीनो अंक के मिला के तितमिरी नाम के किताब छपल रहे जवना में भोजपुरी के 89 गो लघुकथाकार लोग के एकहेगो लघुकथा रहे। लिखल ना मिल पाई काहे कि लिखल आसान नइखे। त अब इन्तजार कइला के काम नइखे, तइयार रहीं पढ़े खातिर। चित्र में साहित्य पढ़ल कइसन लागी? 





1 टिप्पणी:

ईहाँ रउआ आपन बात कह सकीले।