जब मनोहर के उमिर पाँछ-छव बरिस हो गइल आ ऊ टो-टा के तनी-मनी पढ़े लागल त एकदिन अखबार में ओकरा एगो समाचार लउकल- 'काल्ह से आम चुनाव शुरु'। ऊ घरे आइल आ अपना बाबूजी से पूछलस- 'बाबूजी, ई आम चुनाव का होला?' बाबूजी कहलन कि बबुआ जब आम के ढेरी में से खराब आ सरल आम चुन के बाहर फेंक दियाव त एकरे के आम चुनाव कहल जाला। मनोहर ई बात सुन के लागल आम के ढेरी से खराब आम चुन के एक ओरी फेंके। सब खराब आम चुनके अब ऊ छैंटी में बिटोर के फेंके चलल।
रात में मनोहर सुत गइल। ओकरा सपना आइल कि सब अमवा छैंटिए में बइठ के हल्ला करS तारन सन कि हम जादे सरल त हम जादे सरल। रात भर सब आम मनोहर के सुते ना देलें सन। भोरे ऊ अपना बाबूजी से कहल कि हेंगS सपना आइल रल। बाबूजी समझवलन- ' ईहे अमवा नू सांसद हउवन सन आ ई छैंटिया संसद'।
बहुत दिन से अईसन पोस्ट खोजत रहनीहां । आज ऊ चीज मिल गईल । तहरा पोस्ट के पढ़कर बड़ा नीमन लागल । हमरो पोस्ट पर आके तनी कुछ कह जा भाई,तोहार इंतजार रही । धनवाद के साथ हजारीबाग एकदम मुफ्त।
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद । चिंता मत करीह भाई जी अब त परिचय मिलिए गईल, आवल जाईल लागले रही ।
जवाब देंहटाएंआम चुनाव के माध्यम से आम लोगिन के चुनाव होला .. इकरा से बेसी भोजपुरी लिख ना पाइब!
जवाब देंहटाएंजनलोकपाल पास होई त हमनियो के छांटे के मउका मिली।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट रचना । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
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