मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

अइसन गाँव बना दे...



स्वाधीनता सेनानी और हिंदी-भोजपुरी के प्रसि़द्ध जनकवि रमाकांत द्विवेदी रमता जी के गीत आ गजल

अइसन गाँव बना दे

अइसन गाँव बना दे, जहां अत्याचार ना रहे।
जहां सपनों में जालिम जमींदार ना रहे।

सबके मिले भर पेट दाना, सब के रहे के ठेकाना
कोई बस्तर बिना लंगटे- उघार ना रहे।

सभे करे मिल-जुल काम, पावे पूरा श्रम के दाम
कोई केहू के कमाई लूटनिहार ना रहे।

सभे करे सब के मान, गावे एकता के गान
कोई केहू के कुबोली बोलनिहार ना रहे।

- 18.3.83