सोमवार, 21 नवंबर 2011

यात्रा-वृत्त (लघुकथा)



( लघुकथा डॉ रामनिवास मानव के लघुकथा-संग्रह घर लौटते कदमके श्री सूर्यदेव पाठक परागके कइल भोजपुरी अनुवाद एकमुश्त समाधानसे लिहल गइल बा।)


जब ऊ मजदूर रहले, त पैदल फैक्ट्री जात रहले। दोसर कई लोग साइकिल पर जात रहे। ओह लोग के देखके ऊ सोचसकाश, उनको लगे साइकिल रहित !
जब ऊ क्लर्क भइले, त उहो साइकिल ले लिहले। अब लगे से जात मोटर साइकिल देखस, निराश हो जास। सोचसउनको लगे मोटर साइकिल होखे के चाहीं।

बुधवार, 9 नवंबर 2011

आम चुनाव (लघुकथा)


जब मनोहर के उमिर पाँछ-छव बरिस हो गइल टो-टा के तनी-मनी पढ़े लागल एकदिन अखबार में ओकरा एगो समाचार लउकल- 'काल्ह से आम चुनाव शुरु' घरे आइल अपना बाबूजी से पूछलस- 'बाबूजी, आम चुनाव का होला?' बाबूजी कहलन कि बबुआ जब आम के ढेरी में से खराब सरल आम चुन के बाहर फेंक दियाव एकरे के आम चुनाव कहल जाला। मनोहर बात सुन के लागल आम के ढेरी से खराब आम चुन के एक ओरी फेंके। सब खराब आम चुनके अब छैंटी में बिटोर के फेंके चलल। 

रविवार, 6 नवंबर 2011

कवनो बेटा / जिउतिया ना करे / माई खातिर


आपन लिखल कुछ हाइकु ईहाँ दे रहल बानी।

कह ल ठंढ़ा
चांद गरम होखे
जा रहल बा ।