एक-दू दिन पहिले भोजपुरी वेबसाइट अँजोरिया पर एगो लेख आइल बा जवना में राजस्थानी के बहाने भोजपुरी के बात कइल गइल बा। ओह लेख के रउरा ईंहवा पर्ह सकतानी। ओपर हमार जवन प्रतिक्रिया रहे हम ओकरा के एह पन्ना पर दे रहल बानी। हमार ई प्रयास हो सकेला कि नाया होखो चिट्ठा-क्षेत्र में काहे कि हम अलग-अलग कइल आपन प्रतिक्रिया के भी लेख रूप में देत रहेम। अब पर्हीं हमार प्रतिक्रिया लेकिन अँजोरिया आला लेख देखल जरूरी बा। ई प्रतिक्रिया संपादक, अँजोरिया के संबोधित कके लिखल बा।
मंगलवार, 31 मई 2011
रविवार, 29 मई 2011
ऊर्जा के बचत(कविता)
गरीब के पेट
एगो मशीन हS
जवन एक दिन के खाना से भी
चला लेला दू-चार दिन तक काम।
खोजीं:
नयकी कविता,
भोजपुरी,
भोजपुरी कविता
शुक्रवार, 13 मई 2011
भोजपुरी में दू गो किताब
डा रामनिवास मानव हिन्दी के एगो साहित्यकार बारन। उनका दू गो किताब के भोजपुरी में अनुवाद भइल बा। पहिला किताब हS एकमुश्त समाधान जवना के भोजपुरी अनुवाद कइले बानी सूर्यदेव पाठक 'पराग'। ई किताब मानव जी के दू गो लघुकथा-संग्रह के हिन्दी से भोजपुरी में अनुवाद कS के छापल गइल बाS। ए किताब में कुछ लघुकथा बरा बन्हिआ मिलि। एकरा के जरुर पर्हीं। एकर लिंक बाS
खोजीं:
किताब,
भगवान सिंह 'भास्कर',
लघुकथा,
सूर्यदेव पाठक 'पराग'
शनिवार, 7 मई 2011
हमार कुछ दोहा
डाढ़ी जर अब गाछ के, बाटे रहल बटोर।
आखिर फल कइसे मिली, पत्ता पत्ता चोर॥1
जर से ले के डाढ़ तक, केहू ना कमजोर।
केहू अधिका ले गइल, केहू थोरका थोर॥2
खोजीं:
चंदन कुमार मिश्र,
दोहा,
भोजपुरी,
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भोजपुरी दोहा,
भोजपुरी पद्य
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